सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश महामंत्री तथा पूर्व राज्यमंत्री एडवोकेट केवल सती ने कहा कि ‘अग्निपथ योजना’ को अगर केन्द्र में कांग्रेस सरकार होती और वह अग्निषण योजना लागू करती तब भी वह इस योजना का विरोध करते।

उन्होंने कहा कि यह योजना न तो युवाओं के हित में है और ना ही देश के हित में है। तब भी कोई भाजपा नेता अपनी पार्टी के इस फैसले का विरोध करने की हिम्मत नहीं कर रहा है। सती ने कहा कि भाजपा में अटल बिहारी बाजपेयी ही एकमात्र ऐसे नेता थे अगर वह आज होते तो केन्द्र सरकार की अग्निपथ-योजना का वह अवश्य ही विरोध करते। पूर्व में भी उन्होंने अनेक बार गलत निर्णय का विरोध खुलकर किया था, जिसमें उनके अनेक नेता भी नाराज हुए थे।

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सती ने कहा कि यह बात सही है कि आज बेरोजगारी चरम पर है और इसीलिए वायु सेना में 3000 पदों के सापेक्ष-चार दिन में 94281 आवेदन प्राप्त हुए हैं। ये संख्या लाखों में भी होगी, लेकिन इससे सरकार ये मत सोचे कि अग्निपथ योजना सही है। कितने युवा बेरोजगार हैं, इससे पता चलता है। सती ने कहा कि केन्द्र सरकार अगर अग्निपथ योजना को लागू ‌करना चाहती थी तो संसद की स्थाई समिति में इस पर विचार होता तथा फिर संसद में बहस कर यह योजना लागू की जाती, क्योंकि यह योजना देश की सुरक्षा से जुड़ी है।

सती ने कहा कि इस योजना के तहत हर साल 46000 सैनिकों की भर्ती की जायेगी। उन्हें 6 माह का प्रशिक्षण दिया जायेगा और उसके बाद 42 माह की तैनाती दी जायेगी। 48 महीने खत्म होने के बाद उनमें से एक चौथाई सैनिकों को 11 से 13 वर्षों तक सेवा से जोड़ा रखा जायेगा और बाकि बचे करीब 34500 को उनके वेतन से की गई कटौती आदि यानि 11 लाख 67000 का भुगतान का मुक्त कर दिया जायेगा। उसके बाद न तो वे पूर्व सैनिक होंगे, ना ही पेंशन होगी और ना ही रैंक होगा। सती ने कहा कि अग्निवीर ठीक से प्रशिक्षित नहीं होंगे इसलिए अग्रिम मोर्चे पर उनकी तैनाती भी नहीं हो सकती।

एडमिरल अरुण प्रकाश ने रेखांकित किया है कि सामान्य रूप से भर्ती होने वाले सैनिकों को 5-6 वर्ष का प्रशिक्षण दिया जाता है। सती ने कहा कि सरकार का यह कहना कि अग्निपथ मॉडल को इसराइल में आजमाया व परखा गया है कहना बेकार है। इसराइल की आबादी बहुत कम है। वहां आमतौर पर बेरोजगारी नहीं है और युवाओं के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य है। सती ने कहा कि सरकार का यह कहना कि यह योजना लोगों के समझ में नहीं आ रही कह‌ना गलत है। लोग सब समझ रहे हैं। सरकार को इन पदों की रेगुलर भर्ती खोजनी चाहिए ताकि बेरोजगार युवाओं का भविष्य सुरक्षित हो।

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