Uttarakhand : मेडिकल की पढ़ाई करने यूक्रेन क्यों जाते हैं इतने छात्र ! जानिये वजह

Why do Indian students prefer an MBBS in Ukraine? CNE REPORTER येक्रेन (Ukraine) में चल रहे युद्ध (Russia-Ukraine War) के बीच उत्तराखंड सरकार की सबसे…

Why do Indian students prefer an MBBS in Ukraine?

CNE REPORTER

येक्रेन (Ukraine) में चल रहे युद्ध (Russia-Ukraine War) के बीच उत्तराखंड सरकार की सबसे बड़ी चिंता वहां फंसे प्रदेश के नागरिकों सहित सैकड़ों छात्रों को वापस लाने की है,​ जिसमें से अधिकांश यूक्रेन में मेडिकल (MBBS) की पढ़ाई करने गये हुए हैं। इस बीच कई मेडिकल के छात्र—छात्राएं उत्तराखंड वापस लौटे भी हैं। जिन्होंने जहां युद्ध का आंखों देखा हाल बताया, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि वह भारत से इतने दूर यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने क्यों गये।

दरअसल, केवल उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष से प्रति वर्ष बड़ी संख्या में छात्र—छात्राएं मेडिकल की पढ़ाई करने के​ लिए यूक्रेन जाना पसंद करते हैं। अब जब रूस—यूक्रेन युद्ध चल रहा है तो वहां से लौट रहे अधिकांश् युवाओं में यूक्रेन में डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए गये छात्र—छात्राएं ही शामिल हैं। यूक्रेन से घर लौटे विद्यार्थियों ने इसकी जो वजह बताई वह मुख्य रूप से यह हैं — News WhatsApp Group Join Click Now

भारत के मुकाबले काफी सस्ती है मेडिकल की पढ़ाई

यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई भारत से काफी सस्ती है। भारत के यदि सरकारी कॉलेजों को छोड़ दिया जाए तो एक प्राइवेट कॉलेज से MBBS की डिग्री लेने में विद्या​र्थी का खर्च लगभग 01 करोड़ के करीब आता है। वहीं यूक्रेन में 06 साल की मेडिकल पढ़ाई महज 22 से 25 लाख रुपये में पूरी हो जाती है।

पूरा विश्व देता है डिग्री को मान्यता

Doctorate degree from Ukraine की मान्यता पूरे विश्व में है। वहां पर छात्र—छात्राओं को global exposure भी मिलता है। जब हमने Study in Ukraine नामक वेबसाइट का अध्ययन किया तो पाया कि यूक्रेन की मेडिकल डिग्री को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), european council और अन्य वैश्विक संस्थाओं में मान्यता मिलती है।

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भारत के मुकाबले आसान है एडमिशन प्रोसेस

यूक्रेन में जाकर मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए विद्यार्थी इसलिए भी लालायित रहते हैं, क्योंकि वहां भारत की तरह मेडिकल सीटों की मारामारी नहीं है। भारत में MBBS की सीटों के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा से गुजरना पड़ता है। देश में मेडिकल की करीब 88 हजार सीटें हैं और इसमें भी number of government seats लगभग half है। भारत में इन सीटों पर Admission के लिए 2021 में लगभग 16 लाख छात्रों ने NEET की परीक्षा दी, वहीं हर साल यूक्रेन में भारत से लगभग 18 हजार छात्र एमबीबीएस करने जाते हैं। जिसका मुख्य कारण वहां का एडमिशन प्रोसेस आसान होना है।

स्वदेश लौटने पर मिलती है इज्जत और बेहतरीन मौके

यूक्रेन से की गई medical degree को National Medical Commission मान्यता देता है। ऐसे में सामान्य परिवारों से संबंध रखने वाले छात्र Ukraine से सस्ते में medical degree लेकर स्वदेश लौट आते हैं। यहां आने के बाद उन्हें कुछ पेपर देकर Doctoral Internship and Practice का लाइसेंस मिल जाता है। साथ ही foreign degree
होने की वजह से नौकरी में भी better opportunity भी मिलते हैं।

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यूरोप में बसने का ​भी मिलता है सुनहरा मौका

यूक्रेन से मेडिकल की पढ़ाई करने का एक अन्य बड़ा कारण यह भी है कि इसके बाद विद्यार्थियों को यूरोप में ही Job करने का मौका मिल सकता है। यही नहीं, नौकरी के अलावा उन्हें यूरोप का (Permanent resident) बनने का भी मौका मिलता है।

अलबत्ता यूक्रेन से लौटने वाले छात्रों से हुई बातचीत में यह स्पष्ट हो चुका है कि इतनी बड़ी संख्या में भारत से छात्र—छात्राएं वहां मेडिकल की पढ़ाई करने क्यों जाते हैं। इसके बावजूद अब बड़ा सवाल यह है कि रूस के हमले के बाद बदले हालातों में यूक्रेन में प​ढ़ाई कर रहे उन छात्र—छात्राओं का क्या होगा, जो कई साल मेडिकल की पढ़ाई करके बीच में ही वापस लौट आये हैं। वहीं एक अन्य सवाल यह है कि भारत में छात्र—छात्राओं को मेडिकल पढ़ाई के लिए यूक्रेन की तरह अकर बेहतर अवसर मिलने लगें ता उन्हें अपने देश को छोड़ वहां नहीं जाना पड़ेगा।

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